राशिफल, कुंडली और भारतीय वास्तुशास्त्र का आपसी संबंध

राशिफल, कुंडली और भारतीय वास्तुशास्त्र का आपसी संबंध

1. राशिफल का परिचय और महत्वराशिफल: भारतीय ज्योतिषशास्त्र का आधारराशिफल क्या है?राशिफल, जिसे अंग्रेजी में Horoscope कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में ज्योतिषशास्त्र का एक प्रमुख अंग है। यह जातक…
राशियों के अनुसार बच्चों की रचनात्मकता और अभिव्यक्ति

राशियों के अनुसार बच्चों की रचनात्मकता और अभिव्यक्ति

1. परिचय: राशियों का बच्चों की रचनात्मकता पर प्रभावभारतीय संस्कृति में ज्योतिष शास्त्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ जन्म के समय ग्रहों की स्थिति और राशि चक्र न केवल…
पहला भाव (लग्न) का गूढ़ अध्ययन: आत्मा, व्यक्तित्व और भाग्य

पहला भाव (लग्न) का गूढ़ अध्ययन: आत्मा, व्यक्तित्व और भाग्य

1. पहला भाव (लग्न) की परिभाषा व सांस्कृतिक भूमिकाभारतीय ज्योतिष में पहला भाव, जिसे लग्न या असेंडेंट भी कहा जाता है, जन्म कुंडली का अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।…
भारतीय विवाहों में ग्रहण दोष, साढ़ेसाती के प्रभाव और समाधान

भारतीय विवाहों में ग्रहण दोष, साढ़ेसाती के प्रभाव और समाधान

भारतीय विवाहों में ज्योतिष का महत्वभारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी पवित्र बंधन माना जाता है। इसी कारण, विवाह से पूर्व…
ग्रहों के अनुसार विशेष दान-पुण्य की महत्ता

ग्रहों के अनुसार विशेष दान-पुण्य की महत्ता

ग्रहों का परिचय और जीवन में उनका महत्वहिंदू ज्योतिष में ग्रहों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हमारी जन्मपत्रिका में नौ ग्रह माने जाते हैं – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु…
दोष (वात, पित्त, कफ) और राशियों का ज्योतिषीय विश्लेषण

दोष (वात, पित्त, कफ) और राशियों का ज्योतिषीय विश्लेषण

1. दोष (वात, पित्त, कफ) का आयुर्वेदिक परिचयआयुर्वेद भारतीय संस्कृति की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें मानव शरीर और मन के संतुलन को मुख्य रूप से तीन दोषों—वात, पित्त और…
चंद्र राशि बनाम सूर्य राशि: भारतीय विवाह कुंडली में महत्व

चंद्र राशि बनाम सूर्य राशि: भारतीय विवाह कुंडली में महत्व

1. परिचय: चंद्र राशि बनाम सूर्य राशि की भूमिकाभारतीय ज्योतिष शास्त्र में चंद्र राशि और सूर्य राशि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। ये दोनों राशियाँ केवल खगोलीय गणनाएँ नहीं, बल्कि…