दान एवं पूजन का हिन्दू ज्योतिष में महत्व
भारत की सांस्कृतिक धरोहर में दान (दान देना) और पूजन (पूजा करना) को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ये दोनों ही क्रियाएँ न केवल धार्मिक दृष्टि से आवश्यक मानी जाती हैं, बल्कि इनका गहरा संबंध भारतीय ज्योतिष से भी है। भारतीय समाज में ऐसा विश्वास है कि व्यक्ति के जन्म समय के अनुसार ग्रहों की स्थिति उसके जीवन पर प्रभाव डालती है। इन प्रभावों को संतुलित करने के लिए, ज्योतिषाचार्य विशेष दान एवं पूजन की सलाह देते हैं।
दान का महत्व
दान, यानी अपनी कमाई या संसाधनों का कुछ भाग जरूरतमंदों को देना, पुण्य का कार्य माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, दान देने से नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव कम होता है और सुख-शांति मिलती है। विभिन्न राशियों के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का दान करना शुभ माना गया है। उदाहरण के लिए, मंगल दोष वाले लोगों को लाल मसूर दाल या तांबे का दान करना फायदेमंद रहता है।
प्रमुख दान और उनकी राशियों के अनुसार सिफारिशें
राशि | अनुशंसित दान |
---|---|
मेष (Aries) | लाल वस्त्र, मसूर दाल |
वृषभ (Taurus) | सफेद कपड़े, चावल |
मिथुन (Gemini) | हरी सब्ज़ी, मूंग दाल |
कर्क (Cancer) | दूध, चांदी |
सिंह (Leo) | गुड़, गेहूं |
कन्या (Virgo) | हरी फलियाँ, पुस्तकें |
तुला (Libra) | सफेद मिठाई, इत्र |
वृश्चिक (Scorpio) | लाल कंबल, मसूर |
धनु (Sagittarius) | पीला कपड़ा, हल्दी |
मकर (Capricorn) | काला तिल, लोहे की वस्तु |
कुंभ (Aquarius) | नीला कपड़ा, तेल |
मीन (Pisces) | चने की दाल, पीला फल |
पूजन का महत्व
पूजन अर्थात देवी-देवताओं की आराधना एवं विशेष मंत्रों का जाप भी भारतीय संस्कृति में अनिवार्य मानी जाती है। पूजन द्वारा मनुष्य अपने ग्रहों को शांत कर सकता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से बच सकता है। हर राशि के लिए अलग-अलग देवता और पूजन विधि बताई गई है जिसे अपनाकर व्यक्ति जीवन में सकारात्मक ऊर्जा ला सकता है। उदाहरण स्वरूप, मेष राशि वालों के लिए हनुमानजी की पूजा लाभकारी मानी जाती है जबकि वृषभ राशि वालों को मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
भारतीय ज्योतिष में दान एवं पूजन का संक्षिप्त सारांश:
- ग्रहों को शांत करने के लिए विशेष दान तथा पूजा की जाती है।
- राशि के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं व देवी-देवताओं की पूजा श्रेयस्कर होती है।
- भारतीय संस्कृति में यह विश्वास किया जाता है कि सही समय पर सही चीज़ों का दान एवं पूजन करने से जीवन में खुशियाँ आती हैं तथा समस्याएँ दूर होती हैं।
इस अनुभाग में हमने जाना कि किस प्रकार दान एवं पूजन भारतीय ज्योतिष और दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा किस तरह ये हर राशि के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। भारतीय परंपरा में आज भी यह नियम अपना स्थान बनाए हुए हैं और जीवन में संतुलन लाने में सहायक सिद्ध होते हैं।
2. राशिफल के अनुसार दान के प्रमुख उपाय
भारत में हर व्यक्ति की राशि उसके जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती है। खासकर जब बात दान (दान-पुण्य) और पूजा की हो, तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर राशि के लिये अलग-अलग वस्तुएँ और उपाय बताए गए हैं। यह मान्यता है कि यदि साल के अनुसार अपनी राशि से संबंधित उपयुक्त दान किया जाए, तो जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यहाँ विभिन्न राशियों से सम्बंधित वर्ष अनुसार उपयुक्त दान और उनके स्थानीय महत्व को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है:
राशि अनुसार उपयुक्त दान क्या है?
राशि | वर्ष अनुसार सुझाए गए दान | स्थानीय महत्व |
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मेष (Aries) | लाल कपड़ा, मसूर दाल, तांबे का बर्तन | तेजस्विता व साहस बढ़ाने हेतु; उत्तर भारत में विशेष मान्यता |
वृषभ (Taurus) | दूध, सफेद वस्त्र, चावल | शांति व समृद्धि के लिए; ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से अपनाया जाता है |
मिथुन (Gemini) | हरे रंग की वस्तुएँ, पुस्तकें, मूंग दाल | विद्या व संचार शक्ति के लिए; शिक्षाविदों में लोकप्रिय |
कर्क (Cancer) | दूध, चाँदी, सफेद मिठाई | परिवारिक सुख व मानसिक शांति हेतु; बंगाल में प्रचलित |
सिंह (Leo) | गुड़, गेहूँ, सुनहरा कपड़ा | सम्मान व नेतृत्व क्षमता बढ़ाने हेतु; राजस्थान और पंजाब में विशेष महत्व |
कन्या (Virgo) | हरा फल/सब्ज़ी, कलम, किताबें | बुद्धिमत्ता व स्वास्थ्य लाभ हेतु; शहरी क्षेत्रों में ज्यादा माना जाता है |
तुला (Libra) | सुगंधित वस्तुएं, सफेद तिल, मिश्री | संतुलन व सौंदर्य के लिए; गुजरात में प्रचलित परंपरा |
वृश्चिक (Scorpio) | लाल मिर्च, तांबा, गुड़-चना | ऊर्जा एवं रक्षा हेतु; दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण स्थान |
धनु (Sagittarius) | पीली दाल, हल्दी, धार्मिक पुस्तकें | आध्यात्मिक उन्नति हेतु; वाराणसी व मध्य भारत में मुख्य रूप से देखा जाता है |
मकर (Capricorn) | कंबल, काला तिल, सरसों का तेल | कठिनाई दूर करने एवं स्थिरता लाने हेतु; पर्वतीय इलाकों में रिवाज है |
कुंभ (Aquarius) | नीला कपड़ा, स्टील बर्तन, उड़द दाल | समाजसेवा व नवाचार के लिए; महाराष्ट्र में अपनाया जाता है |
मीन (Pisces) | पीला कपड़ा, केला, चना दाल | धार्मिक कार्यों एवं करुणा बढ़ाने हेतु; दक्षिण भारत व मंदिरों में आम चलन है |
स्थानीय रीति-रिवाजों का ध्यान क्यों जरूरी है?
हर क्षेत्र की अपनी परंपराएँ होती हैं। दान करते समय अपनी स्थानीय संस्कृति और जरूरतमंद लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण स्वरूप उत्तर भारत में ठंड के मौसम में कंबल या गर्म कपड़े दान करना शुभ माना जाता है, जबकि दक्षिण भारत में भोजन या अनाज दान अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसलिए साल और स्थान के अनुसार सही वस्तुओं का चयन करके यदि आप अपनी राशि अनुसार दान करते हैं तो उसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
दान के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?
- स्वच्छता: जो भी वस्तु दें वह साफ-सुथरी हो।
- भावना: दान हमेशा सच्चे मन से करें।
- स्थान: स्थानीय मंदिरों, धर्मशालाओं या जरूरतमंद लोगों को ही दें।
अगले भाग में हम जानेंगे कि किस प्रकार पूजन विधियों को साल दर साल अपने जीवन में शामिल करें ताकि राशियों का पूर्ण लाभ मिल सके।
3. स्थानीय परंपराओं के अनुसार पूजन विधि
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर राज्य, समुदाय और यहाँ तक कि गाँव की भी अपनी अनूठी पूजन विधि और सांस्कृतिक शब्दावली होती है। साल के अनुसार राशियों के लिये दान और पूजन करते समय इन स्थानीय परंपराओं को समझना बहुत जरूरी है। इस खंड में हम भारतीय राज्यों व समुदायों की अलग-अलग पूजन शैली और उनके कुछ खास शब्दों को सरल उदाहरणों के साथ जानेंगे।
प्रमुख भारतीय राज्यों की पूजन परंपराएँ
राज्य/क्षेत्र | विशेष पूजन शैली | प्रचलित सांस्कृतिक शब्द |
---|---|---|
उत्तर भारत (उ.प्र., बिहार, पंजाब) | घर के आँगन या मंदिर में दीप जलाना, तुलसी पूजा, गंगाजल का छिड़काव, भोग लगाना | आरती, कथा, प्रसाद, भोग, पंचामृत |
पश्चिम भारत (गुजरात, महाराष्ट्र) | गरबा नृत्य के साथ देवी पूजा, श्रीफल (नारियल) अर्पण, हल्दी-कुमकुम समारोह | पूजा थाली, आरती, प्रसाद, शुद्धिकरण |
दक्षिण भारत (तमिलनाडु, केरल) | कोलम सजावट, केले के पत्ते पर नैवेद्यम रखना, दीपम जलाना | कोलम, नैवेद्यम, दीपम, वायप्पू |
पूर्वोत्तर (असम, बंगाल) | दुर्गा पूजा पंडाल, सिंदूर दान, माटी प्रतिमा की पूजा | पुष्पांजलि, सिंदूरदान, भोग प्रसाद |
राशियों के अनुसार विशेष ध्यान देने योग्य बातें
- मेष से कर्क: इन राशियों में आमतौर पर लाल वस्त्र पहनकर या चंदन-रोली से पूजा करना शुभ माना जाता है। उत्तर भारत में “रोली” शब्द का खूब प्रयोग होता है।
- सिंह से वृश्चिक: दक्षिण भारत में पीले फूल और केले के पत्ते का अधिक महत्व है। महाराष्ट्र और गुजरात में “हल्दी-कुमकुम” रस्म आम है।
- धनु से मीन: पूर्वोत्तर व बंगाल क्षेत्र में “सिंदूर दान” तथा “पुष्पांजलि” जैसे शब्द विशेष रूप से इस्तेमाल होते हैं। इन राशियों के जातकों को पुष्प और फल अर्पण पर जोर दिया जाता है।
दान-पुण्य में क्षेत्रीय विविधता
कुछ क्षेत्रों में अन्नदान को सर्वोत्तम माना जाता है तो कहीं वस्त्रदान या शिक्षा-दान को। जैसे—पंजाब-हरियाणा में लंगर सेवा लोकप्रिय है जबकि दक्षिण भारत में मंदिरों में अन्नप्रसाद वितरित किया जाता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के समय ‘भोग’ बांटना शुभ समझा जाता है। इन सबके लिए स्थानीय भाषा के शब्दों—जैसे ‘लंगर’, ‘अन्नदान’, ‘भोग’, ‘प्रसाद’ आदि का प्रयोग होता है।
महत्वपूर्ण सुझाव:
- अपने राज्य या समुदाय की संस्कृति और शब्दावली का सम्मान करें।
- स्थानीय पुजारियों या बुजुर्गों से पूजन विधि एवं दान संबंधी सलाह लें। इससे न केवल आपकी पूजा सटीक होगी बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव भी मजबूत होगा।
- हर राशि वाले जातक अपनी परंपरा के अनुसार रंग, फूल या प्रसाद चुन सकते हैं जिससे उनका दान एवं पूजन अधिक फलदायी हो सकता है।
इस तरह स्थानीय परंपराओं का पालन कर आप साल के अनुसार अपनी राशि हेतु पूजन और दान को और भी सफल बना सकते हैं तथा अपने परिवार व समाज में प्रेम व सद्भावना बढ़ा सकते हैं।
4. साल दर साल बदलती दान/पूजन की रणनीतियाँ
हर वर्ष ग्रहों की स्थिति और राशियों के फल में बदलाव आता है, जिससे दान और पूजन की विधियों में भी परिवर्तन आवश्यक हो जाता है। भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि सही समय पर सही प्रकार का दान और पूजन करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस भाग में हम जानेंगे कि किस प्रकार हर साल अपनी राशि के अनुसार दान एवं पूजन में बदलाव किया जा सकता है।
राशि अनुसार वर्ष 2024 के लिए दान/पूजन सुझाव
राशि | दान का प्रकार | पूजन की विधि | महत्वपूर्ण ग्रह |
---|---|---|---|
मेष (Aries) | लाल वस्त्र, तांबा, मसूर दाल | हनुमान जी की पूजा, मंगलवार व्रत | मंगल |
वृषभ (Taurus) | दूध, सफेद वस्त्र, चावल | माँ लक्ष्मी की पूजा, शुक्रवार को दीपक जलाना | शुक्र |
मिथुन (Gemini) | हरी सब्जी, पुस्तकें, मूंग दाल | गणेश जी की पूजा, बुधवार को व्रत रखना | बुध |
कर्क (Cancer) | चावल, दूध, चांदी के सिक्के | शिव जी की पूजा, सोमवार को व्रत रखना | चंद्रमा |
सिंह (Leo) | गेहूं, गुड़, पीली वस्तुएँ | सूर्य देव की पूजा, रविवार को जल अर्पित करना | सूर्य |
कन्या (Virgo) | हरी मूँग, हरी सब्जी, किताबें दान करें | गणेश जी की पूजा, बुधवार को व्रत करें | बुध |
तुला (Libra) | सफेद वस्त्र, मिश्री, दही दान करें | माँ दुर्गा की पूजा करें, शुक्रवार को दीपक जलाएँ | शुक्र |
वृश्चिक (Scorpio) | लाल वस्त्र, मसूर दाल, तांबा दान करें | हनुमान जी या भैरव बाबा की पूजा करें, मंगलवार/शनिवार को व्रत रखें | मंगल/केतु |
धनु (Sagittarius) | पीले कपड़े, हल्दी, चना दान करें | विष्णु भगवान की पूजा करें, गुरुवार को व्रत रखें | बृहस्पति |
मकर (Capricorn) | काले वस्त्र, तिल, कंबल दान करें | शनिदेव की पूजा करें, शनिवार को दीपक जलाएँ और व्रत रखें | शनि |
कुंभ (Aquarius) | नीला कपड़ा, तेल या लोहे का सामान दान करें | शिव जी या शनिदेव की पूजा करें | शनि/राहु |
मीन (Pisces) | पीले फूल, हल्दी या केले का दान करें | गुरु बृहस्पति की पूजा करें | बृहस्पति |
कैसे निर्धारित करें बदलाव?
हर वर्ष नए ग्रह दशा आने पर पंडितजी या ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली दिखाकर यह जानना चाहिए कि आपके लिए कौन सा ग्रह प्रभावी है। उसी के अनुसार आप उपयुक्त दान एवं पूजन विधि चुन सकते हैं। ध्यान रहे कि किसी विशेष ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए संबंधित चीज़ों का ही दान और पूजन करना चाहिए।
स्थानीय परंपराओं का महत्व
भारत के अलग-अलग राज्यों एवं समुदायों में पूजन व दान की अपनी-अपनी परंपराएँ हैं। जैसे उत्तर भारत में तुलसी पूजन अधिक प्रचलित है वहीं दक्षिण भारत में नागदेवता या कावेरी नदी पूजन प्रमुख होता है। इसलिए अपनी स्थानीय संस्कृति एवं परिवारिक परंपरा का भी पालन अवश्य करें।
मुख्य बातें याद रखें:
- हर वर्ष ग्रह दशा बदलती है—दान व पूजन विधि भी बदलें।
- ज्योतिषाचार्य या पंडित से सलाह लें।
- स्थानीय परंपराओं का सम्मान करते हुए पूजन/दान करें।
इस तरह साल दर साल अपनी राशि एवं ग्रह दशा के अनुसार अगर आप दान एवं पूजन करते हैं तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
5. युगल/परिवार के लिये राशिफल सम्मत उपाय
इस अनुभाग में कपल्स व परिवारिक जीवन के लिये राशिफल पर आधारित दान और पूजन के सुझाव दिए जाएंगे। भारत की सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए, यहाँ हर राशि के अनुसार सरल और प्रभावशाली उपाय साझा किये जा रहे हैं, जो आपके वैवाहिक और पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करने में सहायक होंगे।
राशि अनुसार दान एवं पूजन के उपाय
राशि | युगल/परिवारिक जीवन हेतु दान | पूजन विधि |
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मेष (Aries) | लाल वस्त्र एवं मसूर दाल का दान करें। | हनुमान जी की पूजा करें, मंगलवार को मिठाई चढ़ाएं। |
वृषभ (Taurus) | सफेद कपड़े या चावल का दान करें। | माँ लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार को करें, गुलाब अर्पित करें। |
मिथुन (Gemini) | हरा मूंग व पुस्तकें दान करें। | गणेश जी की पूजा बुधवार को करें, दूर्वा चढ़ाएं। |
कर्क (Cancer) | दूध या चांदी का दान करें। | शिवजी की पूजा सोमवार को जल चढ़ाकर करें। |
सिंह (Leo) | गुड़ एवं गेहूं का दान करें। | सूर्य देव को जल अर्पित करें, रविवार को विशेष प्रार्थना करें। |
कन्या (Virgo) | अनाज एवं हरी सब्ज़ियाँ दान करें। | भगवान विष्णु की पूजा गुरुवार को तुलसी पत्र से करें। |
तुला (Libra) | सफेद मिठाई व इत्र का दान करें। | माँ दुर्गा की पूजा शुक्रवार को फूलों से करें। |
वृश्चिक (Scorpio) | लाल फल एवं मसाले दान करें। | हनुमान जी या भैरव बाबा की पूजा मंगलवार/शनिवार को करें। |
धनु (Sagittarius) | पीली वस्तुएं एवं हल्दी का दान करें। | गुरु बृहस्पति की पूजा गुरुवार को पीले फूल चढ़ाकर करें। |
मकर (Capricorn) | काला तिल व कंबल का दान करें। | शनि देव की पूजा शनिवार को तेल व काले वस्त्र अर्पित करके करें। |
कुंभ (Aquarius) | नीले फूल व लोहे का सामान दान दें। | शनि देव व भगवान गणेश की पूजा शनिवार/बुधवार को करें। |
मीन (Pisces) | पीली मिठाई व चने की दाल का दान दें। | भगवान विष्णु की पूजा बृहस्पतिवार को पीले पुष्प से करें। |
भारतीय सांस्कृतिक टिप्स कपल्स और परिवारों के लिये
- संयुक्त रूप से पूजन: पति-पत्नी मिलकर सप्ताह में एक दिन अपने ईष्ट देवता का पूजन अवश्य करें, इससे आपसी संबंध में मधुरता बनी रहती है।
- दान करते समय: पूरा परिवार साथ मिलकर किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति या मंदिर में सामूहिक रूप से दान करे, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- त्योहारों पर विशेष पूजन: भारतीय त्योहार जैसे करवा चौथ, रक्षाबंधन, दीपावली पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजन एवं आरती जरूर करें – इससे प्रेम और एकजुटता बढ़ती है।
स्थानीय भाषा और रीति-रिवाजों का महत्व:
हर राज्य या समुदाय के अपने खास रीति-रिवाज होते हैं, जैसे दक्षिण भारत में तुलसी विवाह, बंगाल में दुर्गा पूजा, पंजाब में लोहड़ी आदि – इन्हें भी परिवार सहित मनाएं ताकि बच्चों में भी भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान बना रहे।
इन आसान उपायों द्वारा आप अपने जीवन साथी तथा परिवार के साथ मजबूत भावनात्मक बंधन बना सकते हैं और साल भर सुख-शांति प्राप्त कर सकते हैं।
6. लोकप्रिय भारतीय दान व पूजन स्थानों की सूची
साल के अनुसार राशियों के लिये दान एवं पूजन के उपाय तभी प्रभावी होते हैं जब इन्हें उचित स्थान पर, सही विधि से किया जाए। भारत में कई ऐसे प्रमुख मंदिर, तीर्थ स्थल और स्थानीय पूजा स्थल हैं, जहाँ इन उपायों को करने का विशेष महत्व है। यहाँ हम आपके लिए कुछ प्रमुख स्थलों की जानकारी दे रहे हैं, जहाँ आप अपनी राशि एवं वर्ष के अनुसार दान एवं पूजन कर सकते हैं।
प्रमुख मंदिर और तीर्थ स्थल
स्थान का नाम | स्थान/राज्य | विशेषता |
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काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | शिव पूजन एवं दान के लिए प्रसिद्ध |
वैष्णो देवी मंदिर | कटरा, जम्मू-कश्मीर | शक्ति उपासना, मनोकामना पूर्ति हेतु पूजा व दान |
तिरुपति बालाजी मंदिर | आंध्र प्रदेश | धन-समृद्धि हेतु विशेष पूजा व अनाज दान |
सिद्धिविनायक गणपति मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | गणेश पूजा एवं मोदक या लड्डू का दान शुभ माना जाता है |
स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) | अमृतसर, पंजाब | लंगर सेवा एवं अन्नदान का विशेष महत्व |
जगन्नाथ पुरी मंदिर | पुरी, ओडिशा | अनाज व वस्त्र दान हेतु उपयुक्त स्थान, वार्षिक रथ यात्रा प्रसिद्ध |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग | उज्जैन, मध्य प्रदेश | राशि अनुसार शिव अभिषेक व तिल-दान का महत्व |
सोमनाथ मंदिर | गुजरात | पवित्रता व स्वास्थ्य लाभ हेतु पूजा-अर्चना व दान स्थान विशेष रूप से प्रसिद्ध है |
कामाख्या देवी मंदिर | असम | स्त्री शक्ति और संतान सुख हेतु विशेष पूजा व दान किया जाता है |
स्थानीय पूजा स्थल और गाँव के मंदिरों का महत्व
भारत के हर गाँव या शहर में स्थानीय देवता या ग्राम देवी-देवताओं के मंदिर होते हैं। वहाँ साल के अनुसार अपनी राशि के अनुरूप पूजा-पाठ और दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। जैसे:
- हनुमान मंदिर: मंगलवार या शनिवार को चने-गुड़ या सिंदूर चढ़ाना रामभक्तों के लिए लाभकारी होता है।
- शनि मंदिर: शनिवार को तेल एवं काले तिल का दान शनि दोष शांति हेतु किया जाता है।
- नदी-घाट या पवित्र तालाब: यहाँ दीपदान, वस्त्र या अन्नदान करना पुण्यकारी माना गया है।
दान और पूजन का समय व विधि
राशि/साल का समय | अनुकूल पूजा स्थल | उपयुक्त दान सामग्री |
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चैत्र/बैसाख (मार्च-अप्रैल) | – नवरात्रि में देवी मंदिर – किसी भी शक्ति पीठ |
– गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र |
श्रावण (जुलाई-अगस्त) | – शिवालय/शिव मंदिर | – दूध, जल, बेलपत्र, तिल |
कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) | – विष्णु/कृष्ण मंदिर – किसी भी तीर्थ स्थल पर दीपदान |
– घी का दीपक, अन्नदान |
व्यक्तिगत सुझाव:
आप अपनी राशि एवं वर्ष की विशेष जरूरतों के अनुसार अपने नजदीकी बड़े मंदिर या तीर्थ स्थल पर जाकर वहां की परंपरा अनुसार ही दान-पुण्य करें। इससे आपको अधिक शुभ फल मिलेगा। स्थानीय भाषा और रीति-रिवाजों का ध्यान रखें ताकि आपकी श्रद्धा एवं भावनाएँ पूर्ण रूप से स्वीकार हों।
आने वाले भाग में हम यह जानेंगे कि किन राशियों को कौन सा विशेष दान और पूजन कब और कहाँ करना चाहिए। इस जानकारी को अपने परिवार और मित्रों से भी जरूर साझा करें!